बिहार में राजद व जदयू दोनों ही दल इन दिनों ओबीसी जातियों के प्रेम में आकंठ डूबे हैं, इसे देखते हुए प्रदेश की अगड़ी जातियों में स्वतः ही एक नाराज़गी पनपने लगी थी, यह ग्राउंड रिपोर्ट जैसे ही बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को मिली उन्होंने आनन-फानन में पटना स्थित अपने आवास पर पार्टी के अगड़े नेताओं की एक अहम बैठक बुला ली और उन्होंने उनके उग्र तेवर को शांत करने के लिए अपनी ओर से कुछ अहम प्रस्ताव रखे। माना जाता है कि तेजस्वी ने इन अगड़े नेताओं से वादा किया है कि ’2024 के चुनाव में वे अगड़ी जातियों को पर्याप्त महत्व और टिकट देंगे।’ उन्होंने कहा कि ’यह पहली बार होगा जब राजद किसी भूमिहार नेता को जहानाबाद से मैदान में उतारेगा, दरभंगा से किसी ब्राह्मण नेता को टिकट मिलेगा और राज्य के कम से कम 4 लोकसभा सीटों पर राजपूत उम्मीदवार उतारे जाएंगे।’ तेजस्वी ने जोर देकर इन अगड़े नेताओं से कहा कि ’राजद व जदयू दोनों ही दल अगड़ी जातियों को साथ लेकर चलेंगे क्योंकि ये जातियां चाहे संख्या बल में कम ही क्यों न हो, ये अन्य जातियों के मतदाताओं को भी प्रभावित करने का माद्दा रखते हैं।’ वहीं लालू व नीतीश में बिहार की 40 लोकसभा सीटों के अनौपचारिक बंटवारे ने कांग्रेस का धर्मसंकट बढ़ा दिया है। सूत्रों की मानें तो लालू व नीतीश ने तय कर लिया है कि ’राजद व जदयू 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। चार सीट वे कांग्रेस के लिए छोड़ेंगे, एक सीट भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी के लिए और एक सीट माले के लिए होगी।’ वहीं कांग्रेस के कम से कम 8-10 नेता टिकट के लिए प्रबल दावेदारी पेश कर रहे हैं।