भाजपा के लिए इस दफे यूपी का चुनावी मैदान किंचित इतना आसान नहीं रहा। 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने यहां की 80 में से 62 सीटें जीत ली थीं और इस दफे भाजपा न सिर्फ अपना रिकार्ड बरकरार रखना चाहती थी बल्कि उसे और बेहतर भी बनाना चाहती थी। राजनैतिक पर्यवेक्षक बताते हैं कि इस दफे यूपी की चुनावी फिज़ा किंचित बदली-बदली सी थीं। खास कर युवाओं और ओबीसी वोटरों में भाजपा को लेकर वो पहली सी दीवानगी नहीं देखी गई। इसी एक जून को चुनाव के अंतिम चरण की 57 सीटों में से यूपी की 13 सीटों पर भी मतदान संपन्न हुए। अगर भाजपा के 2019 का आंकड़ा देखें तो इस चरण की महाराजगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, बांसगांव, देवरिया, सलेमपुर, बलिया, चंदौली और वाराणसी में भाजपा ने अपना भगवा झंडा लहराया था वहीं मिर्जापुर और राबटर्सगंज की सीटें भाजपा की सहयोगी अपना दल के हिस्से आई थी। यानी भाजपा और उनके सहयोगियों ने इन 13 में से 11 सीटें जीत ली थीं 2 सीटें बसपा के हिस्से आई थीं। पर इस दफे यहां मंजर बदला बदला सा नज़र आ रहा है। साफ तौर पर दिख रहा है कि देवरिया, बलिया और चंदौली जैसी सीटें फंसी हुई हैं और भाजपा ने इन चुनावों में जो ’नेरेटिव’ तैयार किया था यहां की जनता उसे हाथों-हाथ नहीं ले पायी। जनता के लिए फ्री राशन और राम मंदिर यहां कोई बड़ा मुद्दा नहीं रह गया बल्कि बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, महंगी बिजली, महंगा गैस सिलेंडर, पुलिस, सेना, रेलवे और शिक्षकों की भर्ती न होना यहां एक बड़ा मुद्दा रहा है। यूपी के अन्य चरणों के मतदान में भी कानपुर, कन्नौज, धौरहरा, शाहजहांपुर, अमेठी और रायबरेली जैसी सीटों पर जनता द्वारा परिभाशित यही मुद्दे मुखर नज़र आ रहे थे। जो इंडिया गठबंधन के लिए अच्छी ख़बर हो सकती है।
हिमाचल की मंडी और हरियाणा की करनाल दो हाई प्रोफाइल सीटों को इस दफे भाजपा ने अपनी नाक का सवाल बना लिया था। मंडी लोकसभा सीट से बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत और करनाल से हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। पार्टी के तमाम बड़े नेताओं ने इन दोनों सीटों पर अपनी पूरी ताकत झोंक दी। बात कंगना की करें तो उनके लिए स्वयं पीएम मोदी ने रैली की। पार्टी के तमाम बड़े दिग्गज मसलन योगी आदित्यनाथ, अमित शाह, राजनाथ सिंह और नितिन गडकरी ने उनके पक्ष में चुनावी सभाएं कीं। कमोबेश यही हाल करनाल सीट का रहा, जहां मोदी दुलारे मनोहर लाल खट्टर पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं और उन्हें कांग्रेस के युवा प्रत्याशी दिव्यांशु बुद्धिराजा से कड़ी चुनौती मिल रही है। करनाल सीट भाजपा के नजरिए से इसीलिए भी महत्वपूर्ण है कि यहीं से उनके नए नवेले मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी भी विधानसभा का उप चुनाव लड़ रहे हैं। उनके लिए खट्टर ने सीट छोड़ी थी ताकि सैनी उप चुनाव के मार्फत विधानसभा में पहुंच सकें।
2024 का आम चुनाव देश का अब तक का सबसे महंगा चुनाव साबित हुआ है। ’सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज’ के आंकड़ों के मुताबिक इस दफे के चुनाव के आखिरी चरण के मतदान तक 1.35 लाख करोड़ खर्च हो चुके हैं। एक वोट की कीमत तकरीबन 1400 रूपए आंकी गई है। वहीं 2019 में 55-60 हजार करोड़ चुनावी खर्च का अनुमान किया गया था। देखा जाए तो चुनावी खर्च के मामले में भारत ने अमेरिका जैसे विकसित राष्ट्र को भी पीछे छोड़ दिया है। सनद रहे कि 2020 के अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव में 1.20 लाख करोड़ रूपए खर्च हुए थे।