क्या केंद्र सरकार की बीन पर नाचेंगे नवीन? |
September 16 2023 |
’मेरे हाथ बंधे हैं और मेरे हाथों में चमकती तलवार है मेरी पीठ में खंजर धंसे हैं और सामने मेरा गुनहगार है’ आखिरकार सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद 5 साल से ईडी निदेशक के पद पर काबिज रहे केंद्र सरकार के दुलारे संजय मिश्रा की विदाई हो गई और उनकी जगह आईआरएस अधिकारी राहुल नवीन ने ली है। पर राहुल नवीन को प्रभारी निदेशक का दर्जा मिला है। इसका आशय यह निकाला जा सकता है कि मोदी सरकार की अभी भी ईडी के लिए एक पूर्णकालिक निदेशक की तलाश जारी है। ईडी, सीबीआई निदेशक, सीवीसी व डीजीपी के लिए सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही दो साल की मियाद तय की हुई है, पर संजय मिश्रा अब तलक सेवा विस्तार का लाभ उठाते आ रहे थे। चूंकि पूर्णकालिक निदेशक को सरकार दो साल से पहले बदल नहीं सकती शायद इसीलिए नवीन को ’प्रभारी’ का दर्जा मिला है, यानी वे पूरी तरह से केंद्र सरकार की रहमोकरम पर होंगे और सरकार जब चाहे उन्हें बदल सकती है। अब इस बाबत योगी सरकार की मिसाल ले लें तो मुकुल गोयल के बाद से ही योगी सरकार ने डीजीपी की जगह कार्यवाहक डीजीपी की परंपरा शुरू कर दी है, इस कड़ी में कई नाम आए, मसलन देवेंद्र सिंह चौहान, फिर आर.के.विश्वकर्मा और अभी यूपी के मौजूदा डीजीपी विजय कुमार भी बस कार्यवाहक हैं, इन्हें कभी भी चलता किया जा सकता है। अब बात करें केंद्र दुलारे व पूर्व ईडी निदेशक संजय मिश्रा की तो इन्हें सेंट्रल इकोनॉमिक इंटेलीजेंस ब्यूरो (सीईआईबी) का डायरेक्टर बनाने की तैयारी है। इस ब्यूरो की स्थापना 1985 में की गई थी, यह एक नोडल एजेंसी है, जो बड़े आर्थिक सौदों पर अपनी रिपोर्ट ईडी को सौंपती है। संजय मिश्रा के लिए चीफ इंवेस्टीगेशन ऑफिसर ऑफ इंडिया का एक नया पद सृजित करने के बारे में भी सरकार विचार कर रही है, पर इस पद को मनमाफिक व ताकतवर बनाने के लिए संसद में विधेयक पास कराना जरूरी होगा, सरकार इस बारे में भी विचार कर रही है। |
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