क्या वसुंधरा के मन के अंधेरों का काट है यह दीया?

October 07 2023


मेरे घर को अब तलक रौशन करने के लिए तेरा बहुत शुक्रिया 

अब वक्त है तेरे जाने का मुझे मिल गया है दीया एक नया

क्या भाजपा नेतृत्व को राजस्थान में अपने देदीप्यमान आस्थाओं की एक नई देवी मिल गई हैं? ’वसुंधरा नहीं तो भाजपा नहीं’ का खटराग अलापने वाले महारानी के समर्थक क्या सकते में हैं? क्या इस दफे के राजस्थान के चुनाव में भगवा आस्थाओं में उसके घर के चिराग से ही आग लग सकती है?’ इस बार जब अमित शाह जयपुर आए तो उनकी राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया के साथ कोई चालीस मिनट तक वन-टू-वन बातचीत हुई। अगर भाजपा शीर्ष की भंगिमाएं बदली हुई थी, तो तेवर वसुंधरा के भी कहीं तल्ख थे। शाह ने महारानी के समक्ष स्पष्ट कर दिया कि ’भाजपा नेतृत्व चुनावी राज्यों में नया नेतृत्व उभारना चाहता है।’ कहते हैं कि इसके जवाब में वसुंधरा ने कहा-’दो बार मैंने प्रदेश में पार्टी को बड़ी जीत दिलाई, मेरे चेहरे के बगैर न तो कार्यकर्ताओं में जोश आएगा और न ही पार्टी चुनाव में जोरदार प्रदर्शन कर पाएगी।’ शाह ने वसुंधरा की बातों को धैर्यपूर्वक सुना और कहा-’ठीक है हम इस पर विचार कर सकते हैं अगर आप झालरापाटन की जगह इस बार अशोक गहलोत के खिलाफ सरदार शहर से चुनाव लड़ जाएं।’ यानी कि शाह का इशारा साफ था, एक तीर से दो शिकार, वसुंधरा की गलहोत से दोस्ती भी खत्म हो जाएगी और उनकी सीएम पद की चुनौती भी। वहीं भाजपा का शीर्ष नेतृत्व बड़े सुविचारित तरीके से जयपुर की राजकुमारी दीया कुमारी के नाम को आगे बढ़ा रहा है। हालांकि दीया लोकसभा की सांसद हैं, फिर भी उन्हें विधानसभा चुनाव लड़वाने की तैयारियां हो रही है। क्योंकि अगर राजस्थान में इस दफे कमल खिला तो सीएम पद के लिए सबसे मजबूत दावेदारी दीया कुमारी की ही रहने वाली है। रही बात वसुंधरा की तो अगर वह बागी हुई तो केंद्र सरकार के पास ‘ईडी’ है न!

 
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