पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले का संदेशखली पिछले कई महीने से सुर्खियों की सवारी गांठ रहा है। मामला महिलाओं के कथित रेप और यौन उत्पीड़न से जुड़ा था जिससे पूरा देश उबल पड़ा खास कर भगवा सियासत गर्म हो गई। 5 जनवरी से पहले तक संदेशखली को कम ही लोग जानते थे आज यह भाजपा के प्रमुख चुनावी मुद्दे का केंद्र बन चुका है। यौन उत्पीड़न की कथित शिकार रेखा पात्रा जो संदेशखली प्रदर्शनकारियों में सबसे मुखर रहीं उन्हें भाजपा ने बशीरहाट से अपना उम्मीदवार बना रखा है। इस पूरे मामले में तब नया मोड़ आ गया जब राज्य में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस ने स्थानीय टीवी चैनलों पर एक स्टिंग वीडियो जारी किया जिसमें भाजपा के संदेशखली ब्लॉक 2 के मंडल अध्यक्ष गंगाधर कयाल को यह कहते हुए सुना गया कि यहां महिलाओं के साथ कोई यौन उत्पीड़न नहीं हुआ बल्कि पार्टी के वरिष्ठ नेता शुभेंदु अधिकारी के निर्देश पर कुछ औरतों ने बलात्कार और यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई, जिससे टीएमसी नेताओं को घेरा जा सके। इन टीएमसी नेताओं में शाहजहां शेख, शिबू हाजरा और उत्तम सरदार के नाम प्रमुखता से उभर कर सामने आए। इस वीडियो में यह भी दावा हुआ है कि केंद्रीय एजेंसियों ने भारी तादाद में जो हथियार बरामद किए थे वे शुभेंदु अधिकारी के सौजन्य से ही वहां रखे गए थे। सूत्रों का यह भी दावा है कि दरअसल संदेशखली मामला भाजपा के दो शीर्ष नेताओं शुभेंदु अधिकारी और दिलीप घोष के बीच वर्चस्व की लड़ाई की ही एक परिणति है। दिलीप घोष पुराने भाजपाई हैं, तो शुभेंदु अधिकारी तृणमूल छोड़ कर भाजपा में आए हैं। शुभेंदु जहां एक मास लीडर हैं वहीं दिलीप घोष का प्रभाव क्षेत्र हमेशा कम रहा है। यहां तक कि भाजपा बंगाल के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत भी शुभेंदु के साथ बताए जाते हैं। शुभेंदु जब ताजा-ताजा भाजपा में शामिल हुए थे तो उनकी भाजपा और संघ कैडर की बैठकों में अनदेखी की जाती रही पर शुभेंदु ने सीधे दिल्ली भाजपा शीर्ष से अपने तार जोड़ रखे थे। वे दिल्ली जाते तो सीधे अमित शाह और जेपी नड्डा से मिलते थे और उनकी ये मुलाकात खूब सुर्खियां भी बटोरती थीं। कहते हैं वहीं दिलीप घोष को शाह से मिलने का समय भी बमुश्किल ही मिल पाता था। शुभेंदु अपने हिसाब से राज्य में भाजपा को चलाना चाहते हैं वहीं दिलीप घोष संघ और भाजपा कैडर पर ज्यादा भरोसा जताते रहे हैं। घोष समर्थकों का दावा है कि बंगाल में भाजपा का उदय तब हुआ जब दिलीप घोष वहां के प्रदेश अध्यक्ष थे। दिलीप घोष मेदिनीपुर से सांसद हैं, लेकिन इस बार उनकी सीट बदल कर वर्धमान दुर्गापुर भेज दिया गया है, जहां उन्हें टीएमसी के कीर्ति आजाद से कड़ी चुनौती मिल रही है। बशीरहाट में शुभेंदु और उनके परिवार का हमेशा से दबदबा रहा है सो, शुभेंदु के कहने पर ही संदेशखली मामले से चर्चित हुई रेखा पात्रा को वहां से भगवा का टिकट मिला है।
इस चुनावी मौसम में अमेरिका से दिल्ली आई आप की राज्यसभा सांसद और ’दिल्ली महिला आयोग’ की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने दिल्ली में बुझती भगवा आस को एक नई संजीवनी दे दी है। आप नेता भी अब दबी जुबान से स्वीकार करने लगे हैं कि ’पार्टी के अंदर ही कुछ ’स्लीपर सेल’ काम करने लगे हैं।’ स्वाति मालीवाल लंबे समय तक आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल की आंखों का तारा रही हैं। पर पिछले कुछ समय से जब से अरविंद केजरीवाल और आप विपरीत परिस्थितियों से जूझ रहे थे तो स्वाति मालीवाल अपनी बहन के इलाज के सिलसिले में लगातार अमेरिका में बनी हुई थीं। यह बात केजरीवाल और उनके खास समर्थकों को रास नहीं आ रही थी। सूत्र यह भी खुलासा करते हैं कि जब स्वाति अमेरिका में थीं तो उन्हें केजरीवाल की ओर से यह संदेशा भिजवाया गया था कि वे दिल्ली आकर अपनी राज्यसभा सीट से इस्तीफा दें। केजरीवाल यह सीट अपने वकील मित्र अभिषेक मनु सिंघवी को देना चाहते हैं। मालीवाल को इसी वर्ष जनवरी में यह राज्यसभा सीट दी गई थी पर मालीवाल की ओर से इस बारे में आप हाईकमान को कोई माकूल जवाब नहीं मिला। कहते हैं उनकी ओर से कहा गया कि वह इस बारे में दिल्ली आकर केजरीवाल से बात करें। आप से जुड़े विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि जब मालीवाल ने अमेरिका से दिल्ली की फ्लाइट पकड़ी उसी बीच केजरीवाल की जमानत अर्जी सर्वोच्च अदालत से मंजूर हो गई। सूत्र यह भी बताते हैं कि स्वाति ने कई दफे केजरीवाल से मिलने का समय मांगा पर न तो केजरीवाल लाइन पर आए न ही विभव, तो स्वाति ने बिना कोई अपाइंटमेंट सीएम हाउस जाकर केजरीवाल से मिलना तय किया। वो वहां पहुंच भी गई और ड्राईंग रूम में बैठ कर इंतजार करने लगीं। मालीवाल के आने की खबर पाकर विभव ड्राईंग रूम में आए और उन्होंने स्वाति से दो टूक कह दिया कि ’आज उनकी मुलाकात अरविंद जी से नहीं हो पाएगी।’ यह सुनने भर की देर थी कि स्वाति आगबबूला हो गई और उन्होंने विभव को खरी-खोटी सुना दी इस पर विभव ने भी सुना दिया कि ’जब पार्टी को आपकी जरूरत थी तब आप अमेरिका में बैठी थीं कुछ दिनों के लिए ही आ जातीं।’ सूत्रों की मानें तो यह कह कर विभव फिर अंदर चले गए। इसके बाद सीएम हाउस के सुरक्षाकर्मियों ने मोर्चा संभाला और एक वीडियो में भी यह देखा गया कि जब एक महिला सुरक्षाकर्मी मालीवाल का हाथ पकड़ कर बाहर ले जा रही है तब उनके कपड़े दुरूस्त थे। फिलवक्त दिल्ली पुलिस ने विभव को गिरफ्तार कर लिया है जो केजरीवाल के सबसे बड़े राजदार हैं।
’बड़े सुर्ख हैं तेरे इरादे दीवारों पर इबारत से पढ़े जाएंगे
निकल पड़ा जिस दिन तूफानों सा तुमसे हम संभालें न जाएंगे’
क्या यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नव स्नाध्य ठाकुरवाद भाजपा शीर्ष को रास नहीं आ रहा है? वैसे तो यह बात जगजाहिर है कि देश भर में मोदी के बाद योगी ही ऐसे भगवा नेता हैं जिनकी चुनावी रैलियों और सभाओं में सबसे ज्यादा डिमांड होती है। मौजूदा चुनाव में भी भाजपा कैडर ने देश भर में योगी की 200 से ज्यादा देश भर में रैलियों की मांग की थी पर योगी ने हामी भरी बस 100 रैलियां यूपी के बाहर कीं, यह कहते हुए कि ’यूपी की 80 सीटों पर भी उन्हें अपना ध्यान फोकस करना है।’ पर विडंबना देखिए कि चुनाव का पांचवां चरण आ पहुंचा है पर योगी अब तक यूपी में मात्र 26 रैलियां ही कर पाए हैं। क्या भगवा सियासी ताने-बाने की आड़ में भीतरखाने से योगी की रैलियों को कम किया गया है? वैसे भी यूपी में ठाकुर समाज को साधने का जिम्मा भाजपा चाणक्य अमित शाह ने उठा रखा है। सूत्र बताते हैं कि यूपी के बाहुबली ठाकुर नेता धनंजय सिंह को साधने में इस बार शाह की महती भूमिका रही। जौनपुर के भाजपा प्रत्याशी कृपा शंकर सिंह को समर्थन देने के लिए धनंजय सिंह को स्वयं शाह ने मनाया। धनंजय की पत्नी श्रीकला जो एक वक्त जौनपुर से बसपा की अधिकृत उम्मीदवार थीं कहते हैं उनसे भी शाह ने मुलाकात की इसके बाद ही बसपा ने जौनपुर से अपना उम्मीदवार बदल दिया। पहलवानों से कथित यौन शोषण के मामलों से चर्चित हुए बाहुबली ठाकुर नेता बृजभूषण शरण सिंह को भी शाह के दरबार का एक महत्वपूर्ण नवरत्न माना जाता है। कहते हैं शाह के प्रयासों की बदौलत ही बृजभूषण शरण के बेटे करण को उनकी जगह भाजपा का टिकट मिला क्योंकि भाजपा शीर्ष किसी भी भांति बृजभूषण शरण की नाराज़गी मोल नहीं चाहता था, कैसरगंज के अलावा गोंडा, बस्ती, फैजाबाद में भी बृजभूषण का अच्छा-खासा असर है और बृजभूषण और योगी में छत्तीस का आंकड़ा किसी से छुपा भी नहीं है। हालांकि यूपी के एक और ठाकुर नेता राजा भैय्या से योगी के अतिशय मधुर संबंध हैं बावजूद इसके शाह ने राजा भैय्या से स्वयं बात कर उन्हें भाजपा के पक्ष में कदमताल करने के लिए मनाया ताकि प्रतापगढ़ और उसके आसपास के क्षेत्रों में भाजपा की राह आसान हो सके। वैसे भी शाह दुलारे बृजभूषण तो योगी को कोई ठाकुर नेता मानते ही नहीं हैं।
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मंडी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ही भाजपा उम्मीदवार कंगना रनौत की तारणहार होकर उभरी है जहां उनका मुकाबला कांग्रेसी उम्मीदवार विक्रमादित्य सिंह से है। सूत्र बताते हैं कि हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खु समेत 5 बड़े कांग्रेसी नेताओं की नाराज़गी विक्रमादित्य से है। इन्हें लगता है कि विक्रमादित्य समर्थकों ने ही सुक्खु सरकार गिराने की साजिश रची थी। सूत्र बताते हैं कि सुक्खु और उनके समर्थक नेता अंदरखाने से भाजपा प्रत्याशी कंगना रनौत की पूरी मदद कर रहे हैं। यहां तक कि स्थानीय प्रशासन भी कंगना के पक्ष में कदमताल करता नज़र आ रहा है।
शायद आपको याद हो ’महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना’ के अध्यक्ष राज ठाकरे ने राज्य में भाजपा को बिना शर्त लोकसभा चुनाव में समर्थन देने का ऐलान किया था, इसकी पृष्ठभूमि दिल्ली में तैयार हुई थी जब राज ठाकरे दिल्ली आकर भाजपा शीर्ष से मिले थे। इसके बाद ही भाजपा शीर्ष ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को यह जिम्मा सौंपा था कि ’वे राज ठाकरे का पूरा ध्यान रखें और उन्हें सहयोग करें।’ शिंदे की ओर से शुरूआत में थोड़ा सहयोग हुआ पर बाद में उनका रवैया उदासीन हो गया। इस पर नाराज़ होकर राज ठाकरे घर बैठ गए। जब यह बात भाजपा नेतृत्व को पता चली तो उसने जम कर शिंदे की क्लास लगाई, फिर शिंदे की ओर से राज को और सहयोग हुआ, जिसके बाद राज ठाकरे कोपभवन से बाहर निकले और अब वे महाराष्ट्र की पांचवें चरण की 13 सीटों पर जम कर भाजपा के पक्ष में प्रचार कर रहे हैं, जहां 20 मई को चुनाव होने वाले हैं। इसके अलावा वे 17 मई को शिवाजी पार्क में मोदी के साथ एक चुनावी रैली में मंच भी साझा करेंगे।
प्रशांत किशोर अपनी अचूक चुनावी रणनीति के लिए जितने मशहूर हैं उससे ज्यादा ख्यात हैं अपने बड़बोलेपन के लिए। पिछले दिनों हैदराबाद के एक पंचतारा होटल की लॉबी में बैठ कर वे अपने स्पीकर फोन पर किसी से बतिया रहे थे। दूसरी तरफ वाला व्यक्ति उनसे पूछ रहा था कि ’अभी तक आप जगन के लिए काम रहे थे, अब चंद्रबाबू के लिए कर रहे हैं।’ कहते हैं इस पर पीके ने ऊंचा फेंकते हुए कहा-’क्या करूं, मेरा एक पैर नायडू ने पकड़ रखा है तो दूसरा जगन ने।’ उसी होटल की लॉबी में साथ वाले सोफा पर चंद्रबाबू नायडू के पुत्र नारा लोकेश का एक अभिन्न मित्र बैठा था जो पीके की सारी बातें सुन रहा था। उसने फौरन नारा को फोन कर यह सारी बातें बताईं। उसी वक्त आग-बबूला होते नारा ने पीके को फोन किया और कहा कि ’हम रिश्ता रखते हैं सो आप रिश्ते की कद्र करें और बिलावजह अनर्गल प्रलाप न करें।’
भाजपा ने इन चुनावों में ऐसी 18 प्रमुख सीटों को चिन्हित किया है जहां येन-केन प्रकारेण किसी भी तरह पार्टी उम्मीदवार का जीतना जरूरी है। इन 18 सीटों को ’कोड ब्ल्यू’ का नाम दिया गया है। भले ही इन 18 सीटों पर संघर्ष कड़ा है पर भाजपा और संघ कैडर यहां अपना पूरा दम दिखा रहा है। पिछले सप्ताह भाजपा के शीर्ष नेताओं, जिसमें अमित शाह और जेपी नड्डा भी शामिल थे और संघ के कुछ प्रमुख पदाधिकारियों की एक अहम बैठक हुई। कहते हैं इस बैठक में यह तय हुआ कि ’इन 18 सीटों को हर हाल में जीतना जरूरी है। सो, इन सभी 18 सीटों पर संघ और भाजपा के नेता ’डोर-टू-डोर’ प्रचार करेंगे, सोशल और डिजिटल मीडिया का भरपूर इस्तेमाल होगा और किसी भी स्थिति में संसाधनों की कमी नहीं होने दी जाएगी।’ सूत्र बताते हैं कि ’कोड ब्ल्यू’ की सीटों में सबसे अव्वल मंडी को रखा गया है, जहां से बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत चुनावी मैदान में हैं। इसके बाद अमेठी का नंबर आता है जहां से प्रमुख भाजपा नेत्री स्मृति ईरानी का मुकाबला गांधी परिवार के वफादार केएल शर्मा से है। इसके अलावा इसमें गुजरात के राजकोट की सीट भी शामिल है, जहां से मोदी दुलारे परूषोतम रूपाला चुनावी मैदान में हैं जो हाल के अपने विवादास्पद बयानों को लेकर चर्चा में हैं। असदुद्दीन ओवैसी पर भले ही भाजपा के ‘छुपा दोस्त’ होने के आरोप लगते रहे हैं, पर हैदराबाद में भाजपा ने उन्हें हराने की चाक-चौबंद तैयारी कर रखी है। भाजपा अपनी उम्मीदवार माधवी लता के लिए यहां अपना पूरा जोर लगा रही है।
ओडिशा में भले ही भाजपा और बीजू जनता दल का चुनाव पूर्व जाहिरा तौर पर गठबंधन नहीं हो पाया हो, पर खबर पक्की है कि अंदरखाने से दोनों दल कांग्रेस के खिलाफ मिल कर चुनाव लड़ रहे हैं। शायद यही वजह है कि बीजद के शीर्ष नेता और राज्य के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक केवल विधानसभा क्षेत्रों में ही अपनी चुनावी सभाओं का फोकस रख रहे हैं। शायद यही वजह है जिन लोकसभा सीटों पर भाजपा दिग्गज चुनावी मैदान में उतरे हैं वहां नवीन पटनायक अपने अधिकृत प्रत्याशियों के ही चुनाव प्रचार में नहीं जा रहे। जैसे केंद्रपाड़ा से भाजपा के जय पांडा, पुरी से संबित पात्रा, संबलपुर से केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और वहीं सुंदरगढ़ से जुएल ओराव चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं, पर नवीन पटनायक की यहां जाने में कोई दिलचस्पी नहीं है। इन चुनावों में पटनायक करीबी पांडियन के सौजन्य से भाजपा और बीजद के बीच गठबंधन का मसौदा तय हो चुका था, पर नवीन पटनायक को ओडिशा के जमीनी सर्वे में यह पता चला कि ’अगर बीजद और भाजपा का गठबंधन होता है तो इसकी सबसे बड़ी लाभार्थी कांग्रेस रहेगी और कांग्रेस का वोट शेयर लगभग 25 प्रतिशत तक बढ़ सकता है।’ सो, एक फार्मूला बना कि लोकसभा में भाजपा ‘लीड’ करेगी और अंदरखाने से उसे बीजद ‘सपोर्ट’ करेगी वहीं विधानसभा का चुनाव पूरी तरह बीजद के हिस्से में रहेगा। भाजपा का अपना सर्वे बता रहा है कि अगर इस ’फ्रेंडली फाइट’ का ग्राफ ठीक से परवान चढ़ा तो भाजपा ओडिषा की 21 में से 14 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज करा सकती है।
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’ये दौरे फिज़ा भी क्या खूब है, मौसम सुहाना है और सिर पर कड़ी धूप है, जिन बागवां पर पहले वे इतराते थे, आज उसकी खुशबुओं से ये चेहरा विद्रूप है’
नए सियासी मिथक गढ़ने के उस्ताद बाजीगर नरेंद्र मोदी से क्या वाकई इस दफे कोई चूक हो गई? आखिरकार क्यों भरी जनसभा में उन्हें अदानी और अंबानी पर सीधा हल्ला बोलना पड़ा। आइए इस मामले की सूत्रधार कांग्रेस की ओर लौटते हैं, जिनके तमाम खाते फ्रीज़ हैं और इस चुनाव में वो भारी आर्थिक तंगी से जूझ रही है। कांग्रेस से जुड़े एक बेहद भरोसेमंद सूत्र के दावे पर यकीन करें तो कांग्रेस कोषाध्यक्ष अजय माकन ने देश के सबसे शीर्ष उद्योगपति मुकेश अंबानी को फोन कर उनसे चुनावी मदद की गुहार लगाई थी। कहते हैं इस मांग पर मोटा भाई उबल पड़े उन्होंने माकन से दो टूक कहा कि ’यह आपकी कैसी नीति है, एक ओर तो राहुल गांधी हमारे खिलाफ सावर्जनिक मंचों से आग उगलते हैं और दूसरी ओर आप हमसे मदद की अपेक्षा भी रखते हैं।’ जब बात बनी नहीं तो माकन सोनिया गांधी के पास अपनी गुहार लेकर पहुंचे। सूत्रों की मानें तो इसके बाद सोनिया के निजी सचिव माधवन ने मोटा भाई से सोनिया की बात करानी चाही पर कहते हैं मुकेश लाइन पर ही नहीं आए। इसके बाद सोनिया ने मुकेश को एक भावुक चिट्ठी लिखी, जिसमें अंबानी परिवार से गांधी परिवार के पुराने रिश्तों की दुहाई थी। जब मुकेश को यह पत्र मिला तो उन्होंने पलट कर सोनिया को फोन किया और राहुल के व्यवहार को लेकर अपनी नाराज़गी व्यक्त की। कहते हैं मुकेश ने यह भी कहा कि ’वे अनंत की सगाई पर गांधी परिवार को आमंत्रित करने के लिए अपने परिवार के साथ दिल्ली आकर सोनिया, राहुल, प्रियंका से मिलना चाहते थे, पर उन्हें मिलने का समय ही नहीं दिया गया।’ सोनिया ने बात टालते हुए कहा-’बच्चे हैं बच्चों से गलतियां हो जाती हैं।’ गिले-शिकवे दूर हुए और कहते हैं इसके बाद अंबानी ने कांग्रेस की ओर मदद का हाथ बढ़ा दिया। पर जैसे ही यह खबर भाजपा शीर्ष को लगी एक बड़े भगवा नेता का फोन मुकेश अंबानी को चला गया। जिनका दो-टूक कहना था कि ’आपको काम हमसे लेना है और मदद दुश्मनों की करनी है यह कहां का दस्तूर है?’ कहते हैं इस पर मोटा भाई ने सफाई देते हुए कहा कि ’हमने जितनी मदद आपकी पार्टी को दी है उसकी दस फीसदी मदद भी कांग्रेस को नहीं हुई है।’ मोटा भाई इस बात को लेकर हैरत में थे कि आखिरकार कांग्रेस के अंदर की खबर लीक कैसे हुई? जबकि इस बात की खबर गांधी परिवार के अलावा खड़गे, केसी वेणुगोपाल, अजय माकन और माधवन को ही थी।
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मुंबई नॉर्थ से दो बार की सांसद पूनम महाजन का टिकट इस बार काट दिया गया है और उनकी जगह भाजपा ने जनता के वकील उज्ज्वल निकम को मौका दिया है। अपने टिकट कटने का पूनम को कहीं पहले ही आभास हो गया था। सो, कुछ दिन पहले ही वो अपने जिलाध्यक्षों को साथ लेकर भाजपाध्यक्ष जेपी नड्डा और अमित शाह से मिलने दिल्ली आई थीं। सूत्र बताते हैं कि नड्डा से मिलने के लिए भी उन्हें काफी इंतजार करना पड़ा और बाद में नड्डा ने बेहद साफगोई से उनसे कह दिया कि ’पार्टी उनकी भूमिका इस दफे बदलना चाहती है।’ पूनम को इस बात का आभास तब भी हो गया था जब भाजपा सांसदों की एक मीटिंग में पीएम ने एक उद्धरण पेश करते हुए कहा कि ’कोई व्यक्ति चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो जाए, उसे कभी अहंकार नहीं पालना चाहिए।’ इसके लिए उन्होंने प्रमोद महाजन का उदाहरण देते हुए बताया कि ’जब प्रमोद महाजन का सितारा बेहद बुलंदी पर था तो एक दफे एयरपोर्ट पर एक सुरक्षाकर्मी द्वारा रोके जाने पर उन्होंने उसके साथ कैसा व्यवहार किया था।’ सूत्रों की मानें तो पूनम महाजन के पास कांग्रेस में भी शामिल होने का अवसर आया था पर उन्होंने कांग्रेस में जाने से मना कर दिया। इसके बाद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से भी पूनम की एक लंबी बात हुई है। सूत्रों की मानें तो उद्धव पूनम के लिए एक बड़ा रोडमैप तैयार कर रहे हैं।
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