2024 का आम चुनाव देश का अब तक का सबसे महंगा चुनाव साबित हुआ है। ’सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज’ के आंकड़ों के मुताबिक इस दफे के चुनाव के आखिरी चरण के मतदान तक 1.35 लाख करोड़ खर्च हो चुके हैं। एक वोट की कीमत तकरीबन 1400 रूपए आंकी गई है। वहीं 2019 में 55-60 हजार करोड़ चुनावी खर्च का अनुमान किया गया था। देखा जाए तो चुनावी खर्च के मामले में भारत ने अमेरिका जैसे विकसित राष्ट्र को भी पीछे छोड़ दिया है। सनद रहे कि 2020 के अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव में 1.20 लाख करोड़ रूपए खर्च हुए थे।
हरियाणा की करनाल सीट से प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भाजपा की ओर से चुनावी मैदान में हैं जहां उन्हें कांग्रेस के युवा उम्मीदवार दिव्यांशु बुद्धिराजा से कड़ी टक्कर मिल रही है। अपने चुनाव प्रचार के सिलसिले में खट्टर जब पानीपत पहुंचे तो वहां उनका भव्य स्वागत हुआ। इसी बीच संघ और भाजपा का एक पुराना कार्यकर्ता उनके पास आया और उनसे कहा कि ’प्रदेश में बहुत गंदी राजनीति चल रही है। मैं स्वयं एक ब्राह्मण हूं, सो मुझे इस बात की काफी व्यथा है कि रमेश कौशिक जी का टिकट काट दिया गया है जो ब्राह्मणों के एक बड़े नेता हैं। उनकी सीडी आपके मुख्यमंत्री रहते ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गई या कर दी गई। आपने वास्तव में राजनीति का स्तर काफी गिरा दिया है।’ इस पर हाजिर जवाब खट्टर ने कहा-’जनाब, मैंने राजनीति का स्तर उठाने का काम किया है, क्योंकि मेरे संज्ञान में ऐसी 8-9 सीडी आई थीं पर चली सिर्फ एक। तो मैंने तो राजनीति का स्तर गिरने से बचा लिया और हरियाणा का नाम भी बचा कर रखा।’
जब वाराणसी लोकसभा सीट पर पीएम मोदी अपना नामांकन दाखिल करने पहुंचे तो भाजपा शीर्ष ने वहां तीन ऐसे नेताओं को तलब किया जो खुद भी लोकसभा का चुनाव लड़ रहे थे। इनमें शामिल थे केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, जो झारखंड के खूंटी से चुनाव लड़ रहे थे, केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान जो मुज्जफरनगर से चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे थे और तीसरे थे सुमेधानंद सरस्वती जो राजस्थान के सीकर से कमजोर चुनावी पिच पर डटे थे। इन तीनों नेताओं को वाराणसी लोकसभा सीट पर अलग-अलग क्षेत्र में चुनाव प्रचार की कमान सौंपी गई है। इस पर वहां एक सीनियर भाजपा कार्यकर्ता ने एक बड़े भाजपा नेता से कहा कि ’कितने निष्ठावान हैं ये लोग जो अपनी-अपनी सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद वाराणसी में पार्टी को इतना वक्त दे रहे हैं।’ इस पर उन बड़े नेताजी ने चुटकी लेते हंसे और कहा-’हमारे जमीनी सर्वेक्षणों के नतीजों में ये तीनों ही पिछड़ रहे हैं सो, इतना वक्त देना आप उनकी मजबूरी भी मान सकते हैं।’
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बिहार के विधानसभा चुनाव 2025 में होने वाले हैं पर इसके लिए बिसात बिछनी अभी से शुरू हो गई है। कभी नीतीश से छत्तीस का आंकड़ा रखने वाले चिराग पासवान अब उनसे दूरियां कम करने के प्रयासों में जुटे हैं। चिराग के चुनाव प्रचार में मोदी आए तो उन्होंने उन्हें बिहार का भावी मुख्यमंत्री बनने का आश्वासन दे दिया। सूत्रों की मानें तो बिहार के मुख्यमंत्री के लिए मोदी की अपनी पहली और निजी पसंद चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर हैं जो इन दिनों मीडिया में घूम-घूम कर मोदी के पक्ष में अलख जगा रहे हैं। वहीं पलटू राम यानी नीतीश कुमार को लेकर भाजपा शीर्ष का संशय फिर से गहराने लगा है कि चुनाव के बाद पाला बदल कर वे विरोधी खेमे से हाथ मिला सकते हैं।
यह बात तब कि जब देश में चुनाव का पांचवां चरण चल रहा था तो भाजपा के संगठन महासचिव बीएल संतोष को एक नायाब आइडिया आया, उन्होंने आनन-फानन में उन भाजपा नेताओं की एक सूची तैयार की जो अलग-अलग कारणों से पार्टी से नाराज़ चल रहे हैं और जिन्होंने चुनाव प्रचार से अपनी दूरियां बना रखी हैं। संतोष ने ऐसे 32 नामों की शिनाख्त की जिनमें से ज्यादातर पार्टी नेताओं के टिकट कट गए थे या जिन्हें पार्टी ने खुद ही दरकिनार कर दिया था। इन असंतुष्ट नेताओं की लिस्ट में जयंत सिन्हा, वरूण गांधी, पूनम महाजन, प्रवेश वर्मा, रमेश विधुड़ी जैसों के नाम शामिल थे। बेहद असंतोष के मारे संतोष जी ने यह चिट्ठियां ड्राफ्ट कर उन्हें दस्तखत के लिए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के पास भेज दीं। जेपी नड्डा को जैसे ही चिट्ठियों के मजमून का पता चला उनके तोते उड़ गए और उन्होंने ना सिर्फ इन चिट्ठियों को साइन करने से मना कर दिया, बल्कि उसी वक्त अमित शाह को फोन कर उन्हें सारी वस्तुस्थिति से अवगत भी करा दिया। मामला और माहौल बिगड़ने की आशंका भांप शाह ने फौरन संतोष को तलब कर उन्हें चेतावनी देने वाले लहज़े में कहा-’आपकी जिम्मेदारी संगठन चलाने की है, पार्टी को एकजुट रखने की है, आप इसमें पलीता क्यों लगाना चाहते हैं? आप कर्नाटक भी नहीं संभाल पाए और अब चिट्ठियां भेज एक नया बखेड़ा खड़ा करना चाहते हैं? आपको मालूम है आप जिन लोगों को चिट्ठियां भेजना चाहते हैं जब वे इनका जवाब देंगे तब वे मीडिया की सुर्खियां बन जाएंगे।’ पर कहते हैं बीएल संतोष नहीं माने और उन्होंने एक ’टेस्ट केस स्निेरियो’ के आधार पर झारखंड के प्रदेश अध्यक्ष के दस्तखत से एक चिट्ठी जयंत सिन्हा को भिजवा दी। इसके अलावा उन्होंने दिल्ली भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष को प्रवेश वर्मा और रमेश विधुड़ी को भी ऐसे ही चिट्ठी जारी करने को कहा पर दिल्ली के प्रदेश अध्यक्ष ने संतोष के आदेश को शिरोधार्य करने की बजाए इस पूरे मामले से नड्डा को अवगत करा दिया। सूत्रों की मानें तो इस पर तमतमाए नड्डा ने बीएल संतोष को फोन करके कहा-’आपको हमने मना किया था, पर आप माने नहीं। अब हम चुनाव देखें या अपनों से ही झगड़े में उलझें।’ कहते हैं संतोष का असंतोष अब अब भी बरकरार है।
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अभी जुम्मा-जुम्मा भाजपाई हुए नवीन जिंदल को अपने रंग बदलने की कीमत चुकानी पड़ रही है। वे हरियाणा के कुरूक्षेत्र लोकसभा सीट से भाजपा के अधिकृत उम्मीदवार हैं। जिंदल पिछले दिनों अपने चुनाव प्रचार के सिलसिले में स्कूली शिक्षकों के साथ एक मीटिंग के लिए गए जिन्हें एक संघ पोषित स्कूल के परिसर में एकत्रित किया गया था। सूत्र बताते हैं कि जिंदल ने वहां उपस्थित सभी शिक्षकों से एकजुट होकर उनके लिए काम करने की अपील की। पर वहां मौजूद एक शिक्षक जो कि काफी मुखर थे, उन्होंने नवीन जिंदल से एक सीधा सवाल पूछ लिया कि ’पिछले चुनावों में मोदी अपने भाषणों में आपको ‘कोयला चोर’ बुलाते थे, अब चूंकि आप भाजपा में आ गए हैं तो क्या आपने अपने आपको ‘कोयला चोर’ मान लिया है?’ पर इस तल्ख सवाल पर जिंदल ने अपना आपा नहीं खोया। उन्होंने बेहद संजीदगी से सवाल पूछने वाले उस अध्यापक से कहा-’क्या आप जानते हैं कि पिछले दस सालों से हम पर क्या गुजरी है?’ (सनद रहे कि नवीन जिंदल पर कोयला ब्लाक आबंटन से जुड़े मामलों समेत कई अन्य मामले लंबित हैं जिनमें से 3 मामले सीबीआई के पास हैं और 3 अन्य ’पीएमएलए’ के तहत ईडी के सुपुर्द हैं।) नवीन ने उस शिक्षक से आगे कहा कि ’पिछली बार जब 2019 में वे चुनाव लड़ना चाहते थे तो उन्हें चेतावनी मिली थी कि चुनाव लड़ोगे तो अंदर कर दिए जाओगे। इस बार उन्हें चुनाव लड़ने में कोई दिलचस्पी नहीं थी तो उन्हें चेतावनी मिल गई कि चुनाव नहीं लड़ोगे तो अंदर डाल दिए जाओगे।’ अध्यापक समझ गए कि मजबूर ये हालात इधर भी हैं और उधर भी।
पिछले काफी समय से सोशल मीडिया में ये खबरें तांक-झांक कर रही थीं कि भाजपा और संघ के बीच कुछ ठीक नहीं चल रहा। इस खटपट को मानो तब एक वैधता मिल गई जब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में बेहद साफगोई से कह दिया कि ’अब हमें पहले की तरह आरएसएस की जरूरत नहीं है, क्योंकि आज भाजपा और उसका संगठन स्वयं में सक्षम है। यही वजह है कि पार्टी आज अपने आपको चला रही है।’ तब इस बात की पड़ताल शुरू हो गई कि आखिर संघ और भाजपा में खटपट की असली वजह क्या है? सूत्रों की मानें तो मोदी और संघ नेतृत्व में आर्थिक नीतियों को लेकर कुछ मतभेद हैं। शायद यही वजह रही कि विदर्भ में अपने चुनाव प्रचार के दौरान मोदी नागपुर संघ मुख्यालय गए। एक तर्क यह भी दिया जा रहा है कि संघ अतिशय व्यक्तिवाद को नापसंद करता है और 2014 लोकसभा चुनाव में मोदी की ऐतिहासिक जीत के दो महीने बाद ही संघ प्रमुख भागवत ने कह दिया था कि ’भाजपा को जीत किसी एक व्यक्ति की वजह से नहीं मिली है।’ एक और तर्क यह भी दिया जा रहा है कि संघ चाहता था कि राम मंदिर बनवाने के लिए संसद से कानून पारित हो पर मोदी ने साफ कर दिया था कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला ही मान्य होगा। अब नड्डा के ताज़ा बयानों ने संघ और भाजपा के इस असहज रिश्ते को सार्वजनिक करने का काम किया है।
हरियाणा के नव नवेले मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के लिए राज्य के निर्दलीय विधायकों को सहेज कर रखना किंचित मुश्किल हो रहा है। इससे पहले भी 3 निर्दलीय विधायकों ने भाजपा सरकार से अपने हाथ वापिस खींच लिए थे। सूत्र बताते हैं कि इन तीनों निर्दलीय विधायकों की कुछ अपनी निजी डिमांड थीं जिसकी पूर्ति वे मुख्यमंत्री से एक सप्ताह के अंदर चाहते थे। इस बाबत वे मुख्यमंत्री से जाकर मिले भी और उनके समक्ष अपनी बात भी रखी। पर कहते हैं सैनी ने उनकी मांगों को सुनने के बाद कहा कि ’इस बारे में निर्णय मैं अकेले नहीं ले पाऊंगा मुझे दिल्ली भी बात करनी होगी।’ खैर, निर्दलीय विधायकों ने उन्हें अपनी समस्याओं के समाधान के लिए एक सप्ताह का वक्त मुकर्रर कर दिया। इधर दिल्ली में शीर्ष नेतृत्व से बात करने के लिए सैनी ने जब-जब फोन लगाया उन्हें एक ही रटा-रटाया जवाब मिला कि ’सब चुनाव में व्यस्त हैं इस वक्त हम आपकी बात नहीं करवा पाएंगे।’ जब एक सप्ताह बाद तीनों निर्दलीय विधायक मुख्यमंत्री से मिलने आए और उन्हें अपनी डिमांड याद दिलवाई तो सैनी ने उनसे कुछ और दिनों की मोहलत मांगी पर ये तीनों ही विधायक यह कहते हुए मुख्यमंत्री के साथ अपनी मीटिंग से उठ गए कि ’भाजपा में निर्णय लेने की प्रक्रिया का पूरी तरह केंद्रीकरण हो गया है हमें कोई और ही रास्ता तलाशना होगा।’
पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले का संदेशखली पिछले कई महीने से सुर्खियों की सवारी गांठ रहा है। मामला महिलाओं के कथित रेप और यौन उत्पीड़न से जुड़ा था जिससे पूरा देश उबल पड़ा खास कर भगवा सियासत गर्म हो गई। 5 जनवरी से पहले तक संदेशखली को कम ही लोग जानते थे आज यह भाजपा के प्रमुख चुनावी मुद्दे का केंद्र बन चुका है। यौन उत्पीड़न की कथित शिकार रेखा पात्रा जो संदेशखली प्रदर्शनकारियों में सबसे मुखर रहीं उन्हें भाजपा ने बशीरहाट से अपना उम्मीदवार बना रखा है। इस पूरे मामले में तब नया मोड़ आ गया जब राज्य में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस ने स्थानीय टीवी चैनलों पर एक स्टिंग वीडियो जारी किया जिसमें भाजपा के संदेशखली ब्लॉक 2 के मंडल अध्यक्ष गंगाधर कयाल को यह कहते हुए सुना गया कि यहां महिलाओं के साथ कोई यौन उत्पीड़न नहीं हुआ बल्कि पार्टी के वरिष्ठ नेता शुभेंदु अधिकारी के निर्देश पर कुछ औरतों ने बलात्कार और यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई, जिससे टीएमसी नेताओं को घेरा जा सके। इन टीएमसी नेताओं में शाहजहां शेख, शिबू हाजरा और उत्तम सरदार के नाम प्रमुखता से उभर कर सामने आए। इस वीडियो में यह भी दावा हुआ है कि केंद्रीय एजेंसियों ने भारी तादाद में जो हथियार बरामद किए थे वे शुभेंदु अधिकारी के सौजन्य से ही वहां रखे गए थे। सूत्रों का यह भी दावा है कि दरअसल संदेशखली मामला भाजपा के दो शीर्ष नेताओं शुभेंदु अधिकारी और दिलीप घोष के बीच वर्चस्व की लड़ाई की ही एक परिणति है। दिलीप घोष पुराने भाजपाई हैं, तो शुभेंदु अधिकारी तृणमूल छोड़ कर भाजपा में आए हैं। शुभेंदु जहां एक मास लीडर हैं वहीं दिलीप घोष का प्रभाव क्षेत्र हमेशा कम रहा है। यहां तक कि भाजपा बंगाल के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत भी शुभेंदु के साथ बताए जाते हैं। शुभेंदु जब ताजा-ताजा भाजपा में शामिल हुए थे तो उनकी भाजपा और संघ कैडर की बैठकों में अनदेखी की जाती रही पर शुभेंदु ने सीधे दिल्ली भाजपा शीर्ष से अपने तार जोड़ रखे थे। वे दिल्ली जाते तो सीधे अमित शाह और जेपी नड्डा से मिलते थे और उनकी ये मुलाकात खूब सुर्खियां भी बटोरती थीं। कहते हैं वहीं दिलीप घोष को शाह से मिलने का समय भी बमुश्किल ही मिल पाता था। शुभेंदु अपने हिसाब से राज्य में भाजपा को चलाना चाहते हैं वहीं दिलीप घोष संघ और भाजपा कैडर पर ज्यादा भरोसा जताते रहे हैं। घोष समर्थकों का दावा है कि बंगाल में भाजपा का उदय तब हुआ जब दिलीप घोष वहां के प्रदेश अध्यक्ष थे। दिलीप घोष मेदिनीपुर से सांसद हैं, लेकिन इस बार उनकी सीट बदल कर वर्धमान दुर्गापुर भेज दिया गया है, जहां उन्हें टीएमसी के कीर्ति आजाद से कड़ी चुनौती मिल रही है। बशीरहाट में शुभेंदु और उनके परिवार का हमेशा से दबदबा रहा है सो, शुभेंदु के कहने पर ही संदेशखली मामले से चर्चित हुई रेखा पात्रा को वहां से भगवा का टिकट मिला है।
इस चुनावी मौसम में अमेरिका से दिल्ली आई आप की राज्यसभा सांसद और ’दिल्ली महिला आयोग’ की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने दिल्ली में बुझती भगवा आस को एक नई संजीवनी दे दी है। आप नेता भी अब दबी जुबान से स्वीकार करने लगे हैं कि ’पार्टी के अंदर ही कुछ ’स्लीपर सेल’ काम करने लगे हैं।’ स्वाति मालीवाल लंबे समय तक आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल की आंखों का तारा रही हैं। पर पिछले कुछ समय से जब से अरविंद केजरीवाल और आप विपरीत परिस्थितियों से जूझ रहे थे तो स्वाति मालीवाल अपनी बहन के इलाज के सिलसिले में लगातार अमेरिका में बनी हुई थीं। यह बात केजरीवाल और उनके खास समर्थकों को रास नहीं आ रही थी। सूत्र यह भी खुलासा करते हैं कि जब स्वाति अमेरिका में थीं तो उन्हें केजरीवाल की ओर से यह संदेशा भिजवाया गया था कि वे दिल्ली आकर अपनी राज्यसभा सीट से इस्तीफा दें। केजरीवाल यह सीट अपने वकील मित्र अभिषेक मनु सिंघवी को देना चाहते हैं। मालीवाल को इसी वर्ष जनवरी में यह राज्यसभा सीट दी गई थी पर मालीवाल की ओर से इस बारे में आप हाईकमान को कोई माकूल जवाब नहीं मिला। कहते हैं उनकी ओर से कहा गया कि वह इस बारे में दिल्ली आकर केजरीवाल से बात करें। आप से जुड़े विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि जब मालीवाल ने अमेरिका से दिल्ली की फ्लाइट पकड़ी उसी बीच केजरीवाल की जमानत अर्जी सर्वोच्च अदालत से मंजूर हो गई। सूत्र यह भी बताते हैं कि स्वाति ने कई दफे केजरीवाल से मिलने का समय मांगा पर न तो केजरीवाल लाइन पर आए न ही विभव, तो स्वाति ने बिना कोई अपाइंटमेंट सीएम हाउस जाकर केजरीवाल से मिलना तय किया। वो वहां पहुंच भी गई और ड्राईंग रूम में बैठ कर इंतजार करने लगीं। मालीवाल के आने की खबर पाकर विभव ड्राईंग रूम में आए और उन्होंने स्वाति से दो टूक कह दिया कि ’आज उनकी मुलाकात अरविंद जी से नहीं हो पाएगी।’ यह सुनने भर की देर थी कि स्वाति आगबबूला हो गई और उन्होंने विभव को खरी-खोटी सुना दी इस पर विभव ने भी सुना दिया कि ’जब पार्टी को आपकी जरूरत थी तब आप अमेरिका में बैठी थीं कुछ दिनों के लिए ही आ जातीं।’ सूत्रों की मानें तो यह कह कर विभव फिर अंदर चले गए। इसके बाद सीएम हाउस के सुरक्षाकर्मियों ने मोर्चा संभाला और एक वीडियो में भी यह देखा गया कि जब एक महिला सुरक्षाकर्मी मालीवाल का हाथ पकड़ कर बाहर ले जा रही है तब उनके कपड़े दुरूस्त थे। फिलवक्त दिल्ली पुलिस ने विभव को गिरफ्तार कर लिया है जो केजरीवाल के सबसे बड़े राजदार हैं।